उलझन

उलझन


poem hindi

जो ज़ुबान से कह ना पाया,

वो यहाँ कह देता हूँ,

उलझी परतों को,

यहाँ सुलझा देता हूँ |

एक मोड़ आता है,

तुम्हारी ओर जाता है,

वहीं इंतज़ार करता था मैं,

अपनी आँखों में टूटे सपने लिए मैं|

जो किसी को ना बताया,

वो सिर्फ़ तुम्हे बताया,

इस बात का इल्म नही मुझे,

पर तुझपे अब गुमान नही मुझे|

अब लोगों से लगाव न रहा,

चीज़ों से हो रहा है,

ये खुद को बचा के रखने की साज़िश है,

या ऐसा ही हूँ मैं अब |

कुछ तस्वीरें आज भी याद आती हैं,

पर अपने साथ वो मुस्कुराहट नही लाती हैं,

वो गाने आज भी सुनता हूँ,

पर वो सिर्फ़ आवाज़ें हैं जो कानो पर गिरती हैं |

आज सब मायने बदल गये हैं,

ज़िंदगी जीने के क़ायदे बदल गये हैं,

लोग बदल गये हैं सूरतें बदल गयी हैं,

कुछ ना बदला हो तो वो बीती यादें |

© 2025 Apurva Shrey